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पारलौकिक रेकी

  • क्लास कालावधी: 5 दिन ( 1 घण्टे हररोज ) फिर 21 दिन घर पे प्रेक्टिस रखिये.
  • फीस 6,500 = 00 लेवल 1, 2, 3 मास्टर, ग्रेण्ड मास्टर:
  • इस कोर्स के साथ फ्री प्राणिक हीलिंग + एक्युप्रेशर + रीफ्लेक्सॉलॉजी + कुण्डलिनी शक्ती जागरण
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    पारलौकिक रेकी क्या है?

    पारलौकिक शब्द का अर्थ है, " सुपरनेचरल, दिव्य शक्ति transcendental" जिनकी व्याख्या मोडर्न साइंस नही कर पाता. हम अपनी अंतरात्मा को जानते है, फिर ब्रम्हाण्ड को जानते है, फिर परमात्मा के साथ हम कनेक्ट हो जाते है.. उसे पारलौकिक रेकी कहते है.

    पारलौकिक रेकी मे केवल अनुभूति को महत्व क्यो दिया जाता है?

    अपनी अंतरात्मा को जानने के बाद ब्रम्हाण्ड के साथ कनेक्ट होकर जो अनुभूति भगवान महावीर, भगवान बुद्ध ने ली. जिसे डॉ.मिकाऊ ऊसुई ने पायी उसी प्रकार की अनुभूति जब साधक को होती है, उसीसे उसके अंदर प्रचण्ड परीवर्तन आता है. पारलौकिक शक्तियोंके बगैर साधक निम्न श्रेणी का हीलर बनकर रह जाता है. उच्च कोटी के गुरुतुल्य हीलर बननेके लिये पारलौकिक रेकी को जानना अनिवार्य है.



    पारलौकिक रेकी मे चिन्ह क्यों नहीं होते?

    हर आध्यात्मिक दर्शन के दो प्रकार होते है. एक जो कर्मकाण्ड मे विश्वास रखता है, और दूसरा जो ईश्वर प्राप्ति के लिये प्रयत्न करता है. हमारा धर्म भी यही कहता है, कि पत्थर मूर्ति पर दूध डालने से भगवान नहीं मिलेंगे. किंतु ध्यान धारणा से अपनी अंतरात्मा को जाने, परमात्मा को जाने फिर दूध किसी प्यासे को पिलाये तो आपको पुण्य और भगवान दोनो मिलेंगे. लेकिन कुछ लोग अपने स्वार्थ के लिये समाज को भटकाते है जिससे साधक को कुछ नही मिलता, हाँ तंत्र करनेवाले गुरू का पेट जरूर भरता है. ठीक उसी प्रकार से पारलौकिक रेकी चिन्ह, एवम क्रिस्टल या किसी भी प्रकार की माला, धागा दोरा देने मे विश्वास नही रखती. चिन्ह देनेवाले, क्रिस्टल,माला,धागा देनेवाले लोग व्यापारी है. जापानी भाषा के चिन्ह पढने के लिये रेकी कोई इंसान नही है. चिन्ह मे अगर ताकत है तो वो हमारे सर्वशक्तिमान ॐ मे है जिससे ब्रम्हाण्ड की निर्मिती हुई है.चिन्ह या किसी प्रतिक मे हीलिंग की शक्ति है ऐसे मानना एक अंधश्रद्धा और तांत्रिक काम है ऐसा पारलौकिक रेकी मानती है. भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, ईसू मसीह और अनेक सिद्धहस्त महात्माओने लोगोंके उपर केवल दृष्टी डाली, उन्हे केवल स्पर्श किया और लोग ठीक हो गये.

    पारलौकिक रेकी को बेहद पॉवरफुल क्यो माना जाता है?

    हमारे पांच इंद्रियों के समझ के बाहर, ब्रम्हांडीय पाँच तत्वोंसे परे केवल आत्मा से शुद्ध वायब्रेशन जब महसूस होती है तो उसमे अत्यंत पॉवरफुल ब्रम्हांण्डीय शक्ति आ जाती है. इसीलिये किसी भी रुग्ण व्यक्ति का केवल हीलिंग नहीं होता, उसमे जबरदस्त पारलौकिक अनुभुति का संचार होता है. बाकी के रेकी के पंथ केवल बातें करते है. लेकिन पारलौकिक रेकी एक अनुभव है.

    पारलौकिक रेकी मे लेवल क्यो नही आते?

    रेकीके नाम पर व्यापार करनेवाले लोगोने रेकी सिखाने के लिये लेवल की रचना की जिसके अंतर्गत लोगोंका आर्थिक शोषण किया जाता है. लेवल अनुसार लोगोंसे तीस हजार से लेकर चार लाख तक पैसे लिये जाते है. अंतिमत: उन्हे जब पारलौकिक रेकी सिखाया जाता है. तब उसे ‘’ग्रेण्डमास्टर’’ के नाम से जाना जाता है.

    भारत देश में पारलौकिक रेकी का प्रचार प्रसार क्यो नहीं हो पाया?

    भारत देश मे रेकी अमरिका से आयी, जहाँ पर टकाटा हवाई का पंथ जोरदार मार्केटिंग कर रहा था. उदाहरण के तौर पर, पांच सौ साल पहले भारत देश में कर्म काण्ड अपनी चरम सीमा पर था, फिर समय के साथ कर्म काण्ड का महत्व कम होता गया. ठीक उसी प्रकार से टकाटा का पंथ पैसे के जोर पर भारत मे आया और उनके गुरुओं द्वारा समाज का आर्थिक शोषण हुआ. लेकिन अब धीरे धीरे उनके तथाकथीत मास्टर, ग्रेण्ड मास्टर्स कि पोल खुलने लगी है और उनमे व्यापारिक दृष्टिकोण के अलावा मानव जातीका भला करने कि प्रवृत्ति नही है. उनके पास अपने स्वयं को भी ठीक करने का सामर्थ्य नही है ये समाज के सामने आने लगा है. जिसके कारण लोग अब पारलौकिक रेकी के खोज मे है. हाँ किंतु यह भी सत्य है कि पारलौकिक रेकी सिखानेवाले गुरु काफी कम संख्यामे है.

    पारलौकिक रेकी इतनी पवित्र और शुद्ध क्यो है?

    जब लोग टकाटा हवाई के पंथ से लाखो रुपिया खर्च करके मास्टर बन जाते थे तो जाहीर है कि उस पैसे को वसूलने के लिये वो रेकी का इस्तेमाल करने लगे. पारलौकिक रेकी में व्यापारिक प्रवृत्ती ना होने के कारण और लोगोंके भलाई का मूल विचार होने के कारण पारलौकिक रेकी की पवित्रता अद्धुत होती है. किसी प्रकार के चिन्ह, माल, धागा दोरा बीच मे ना होने के कारण यह दूषित नही होती अत: पवित्र और शुद्ध होती है.

    भारत देश मे पारलौकिक रेकी किसके द्वारा आयी?

    भारत देश मे पारलौकिक रेकी लाने का श्रेय दो व्यक्तियोंको जाता है. एक है आचार्य ईश्वरानंद जोषीजी और दूसरे है उनके गुरू (जो अब शरीर मे नही रहे ) परमहंस आत्मानंदजी. आत्मानंदजी एक हिमालयीन तपस्वी एवम सिद्धहस्त महागुरू थे. दोनों महानुभावोंका 1991 में डॉ.मिकाऊ उसूई के मठ मे जाना हुआ. वहाँ उन्हें मूल रूप से पारलौकिक रेकी की दीक्षा प्राप्त हुयी है. अब तक इन महानुभावोंके प्रयत्न द्वारा पांच हजार से भी ज्यादा देश विदेश के लोगोने पारलौकिक रेकी को प्राप्त किया है. आईये गुरुजीके माध्यम से आपका प्रेमपूर्वक स्वागत है.

    रेकी के बारे में और जानें?

    रेकी एक वैश्विक ऊर्जा है जो हमें जीवन में समृद्ध करती है। रेकी अ-पारम्पारिक स्कूल में सिखाया जाता है। बहुत कम संगठित स्कूल हैं जो पूरी तरह से रेकी सिखाते हैं। यह एक ब्रह्मांडीय ऊर्जा है जो हमारे शरीर, दिमाग और आत्मा से होकर गुजरती है। रेकी हमारे शरीर के उन हिस्सों से ज्यादा बहती है , जहां बाल मौजूद नहीं होते हैं, जैसे हाथ कि हथैलिया , पैरों के नीचे के तलुए , होंठ इत्यादि। रेकी आपके भीतर एक शक्ति है। जन्म से हम सभी को यह प्री-लोडेड सॉफ्टवेयर मिला है, जिसे रेकी कहा जाता है। केवल एक कार्य यह है कि हमें इसे सही तरीके से सक्रिय करना होगा और इसका उपयोग करना होगा। एक बार यह सक्रिय हो जाने पर हमारा जीवन समृद्ध हो जाता है। हालांकि असंगठित स्कूलों के माध्यम से प्रशिक्षण लेने के बावजूद, कुल मिलाकर यह बहुत शक्तिशाली है।

    क्या रेकी केवल रोगोंका इलाज करने के लिए प्रयोग में लाया जाता है?

    नहीं, यह केवल रोगोंका का इलाज करने के लिए नहीं है। इसे इस तरह से समझे.... रेकी कभी रोगों पर काम नहीं करती है, यह हमारे शरीर, दिमाग और आत्मा को शुद्धता में परिवर्तित करती है। बीमारी पर काम करने और शुद्ध स्वस्थ शरीर पर काम करने में फर्क है। पहला नकारात्मक पहलू है और दूसरा सकारात्मक पहलू है। मुख्य रहस्य ये है कि हमारी "समृद्धि" के लिए रेकी का उपयोग किया जाता है। समृद्धि की परिभाषा व्यक्ति व्यक्ति से अलग होती है। डॉ. उसुई के अनुसार, जिन्होंने रेकी की खोज की, समृद्धि का मतलब स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ दिमाग है जहां पैसे का कोई तनाव नहीं है।

    कई बार खबरों में यह सुना जाता है कि आतंकवादियों ने एक जगह या इमारत की रेकी कि, क्या यह सच है?

    यह इंसानी समाज का अब तक का बहोत बडा मजाक है। असल में उस प्रेस रिपोर्टर को सलाखों के पीछे डालना चाहिए।

    कारण... 1) 'इस' रिपोर्टर को बताया किसने, कि रेकी उस स्थान पर दी गई थी?

    2) अगर संवाददाता जानता है कि कोई नकारात्मक उद्देश्य से रेकी दे रहा है तो उसे पुलिस को सूचित करना चाहिए, है ना?

    3) आतंकवादी दूसरे देश में भाग गया, पुलिस द्वारा पकड़ा नहीं गया, फिर रिपोर्टर को रेकी के प्रयोग के बारे में किसने बताया? रेकी करने के बाद रेकी कंपन खोजने के लिए कोई तकनीक या उपकरण नहीं है ...

    4) रेकी किसी भी पेंट की तरह नहीं है या इसमें कोई गंध नहीं है तो यह संवाददाता कैसे जानता है कि इमारत के लिए रेकी की गई है?

    यह एक मूर्खता है। अधिक बेवकूफ वो हैं जो इसे पढ़ते हैं और विश्वास रखते है। भारत में ऐसे कई लोग हैं जो मानते हैं कि "यदि यह मुद्रित है, तो यह सच होना चाहिए"। जहां तथ्य अलग ही होता हैं।

    मैं इसे एक बड़े जाल के रूप में मानता हूं जिससे रेकी को बदनाम किया जा रहा है । दुर्भाग्य से इस दुनिया में सच के लिये आवाज उठाने के लिए कोई संगठन नहीं है। रेकी किसी भी पदार्थ की शक्ति को बढ़ाता है। यह लोगों को नजरबंदी करने या हवा में गायब करने का जादू नहीं है। अगली बार यदि आप ऐसी कोई खबर पढ़ते हैं, तो आप संवाददाता के उपर मुकदमा दायर करे।

    लेवल I, लेवल ॥, लेवल III, मास्टर या ग्रैंड मास्टर क्या है?

    डॉ मिकाओ ऊसुई फाऊंडेशन के अनुसार, वह किसी को भी मास्टर या ग्रैंड मास्टर के रूप में कभी भी नियुक्त नहीं करता है। रेकी में किसी प्रकार का कोई स्तर नहीं है। यह एक ब्रह्मांडीय ऊर्जा है। एक बार यह सक्रिय हो जाने पर यह सक्रिय हो ही जाती है। डॉ ऊसुई कभी ग्रैंड मास्टर या मास्टर के रूप में किसी को घोषित नहीं करते हैं। आइए इसके पीछे का इतिहास समझें। “ताकाता” नाम की एक अमेरिकी महिला (जापान के मूल निवासी) को फेफड़ों का कैंसर हुआ। वह मरने ही वाली थी, कि उसके पड़ोसी ने उसे जापान में रेकी उपचार लेने का सुझाव दिया। उसने इलाज किया और कैंसर ठीक हो गया, यह चमत्कार था। उसने इससे पैसे कमाने की बड़ी संभावना देखी। "ऊसुई शिकी रोहियो" के अनुसार रेकी को व्यापार में बदलने की अनुमति नहीं थी। तब वह अमेरिका लौट गयी और एक व्यवसायी की मदद से उसने अपना नया व्यवसाय "रेकी सिखाने" का शुरू किया।

    जापान द्वारा पर्ल हार्बर हमले की वजह से अमेरिकन्स जापानीयोंकी नफरत करते थे। इसलिए टकाटा को अमेरिकन्स द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था। पूरी दुनिया ने दूसरे विश्व महायुद्ध के अंत के बाद भी हिरोशिमा, नागासाकी बम विस्फोटों से अमेरिका की जापानियोंके प्रति घृणा देखी है। इसी कारण टकाटा ने घोषणा की कि डॉ ऊसुई एक ईसाई पाद्री थे, जहां वास्तव में, वह एक बौद्ध दार्शनिक थे। (यह एक कारण है कि जापानी लोग तकाता और रेकी की ‘उनकी’ शिक्षाओं से नफरत करते है।) तकाताने रेकी से भारी पैसा कमाने शुरू कर दिया। अब और अधिक कमाई करने के लिए उसने ग्रैंड मास्टर स्तर तक स्तर I, स्तर II, स्तर III के साथ एक पाठ्यक्रम घोषित किया। उसने कई चिन्हों की शुरुआत की और जानबूझकर इसके शुद्धता के लिए बहस करने के लिए कहा ...

    सम्पूर्ण फेक.. अंत में एक ग्रैंडमास्टर क्या कर रहा है? वह किसी को भी ठीक करने में सक्षम है और रेकी को सिखा सकता है। ठीक। यह हमारे किसी भी छात्र द्वारा भी किया जाता है, जिसने हम से रेकी सीखा।

    तकाता एक चतुर एवं सफल व्यापारी महिला थीं, उसने लोगों को मूर्ख बनाने के लिए पेंडुलम, ग्लोब, हार और कई गहने पेश किए। एक तरफ आप लोगों को सिखा रहे हैं कि रेकी आपके शरीर और आत्मा के माध्यम से ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को पहचानते है, तो फिर आप लोगों को गहने खरीदने के लिए क्यों कह रहे हैं? केवल व्यापार... मैंने कई तकाता शिक्षकों को देखा है कि मुझे पांच सौ रुपये दिजिए और 30% रेकी सक्रिय कर दी जाएगी। फिर एक हजार रुपये दीजिए 80% रेकी सक्रिय कि जाएगी, फिर यदि आप एक हजार पांच सौ रुपये देते हैं, तो 100% रेकी सक्रिय हो जाएगी... क्या बकवास है!

    यह जानना दिलचस्प है कि (तकाता) रेकी ने भारत में कैसे प्रवेश किया।

    आइए दुनिया के राजनीतिक इतिहास का अध्ययन करें। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, "शीत युद्ध" नामक एक नया तनाव निर्माण हुआ था। यु.एस.ए. (अमेरिका) और यू.एस.एस.आर. (रूस) ये दो दिग्गज और बाकी दुनिया उनके दोस्त और दुश्मनों में विभाजित थी। एक बार श्री मिखाईल गोर्बाचेव ने यूएसएसआर के अध्यक्ष के रूप में पदभार सम्भाल लिया। उन्होंने ‘पेरस्ट्रोइका’ और ‘ग्लासनोस्ट’ नामक एक आंदोलन बनाया (जिसका अर्थ वैश्वीकरण और स्वतंत्रता है) फिर यूएसएसआर टुकड़ों पर बिखर गया।

    अब 1980 के आसपास अमेरिका दुनिया में सुपर पावर बन गया। यह समय था जब लोग अमरिका को पृथ्वी पर स्वर्ग के रूप में महसूस करते हैं। अमेरिकन फिल्म, संगीत, फैशनेबल कपड़े, भोजन, दवाएं सब कुछ पूरी दुनिया पर छा गये थे। यह वास्तव में, पूरी दुनिया का पश्चिमीकरण था। उस युग में तकाता की रेकी अमरिकासे भारत में प्रवेश कर गई। और भारतीयों का मानना था कि रेकी अमरिका नामक स्वर्ग से है। मूल रूप से इसे समझने के बजाय, हर कोई अब रेकी पर अंध विश्वास कर रहा था, जिसका मतलब था ताकाता की रेकी। जब तकाता के पंथ के लोगोंने पुस्तकें प्रकाशित की है तो उनके मास्टर्स को मैंने देखा है, वे इतने निर्दयी हैं, कि उनके कितबोंमे डॉ. उसुई की एक छोटी सी तस्वीर भी प्रिंट नहीं करते हैं, और वे स्वयं की 20- 30 तस्वीरें, बिना किसी शर्मिंदगीसे प्रिंट करते हैं ..

    मैंने एक एजेंसी देखी है जो औरा स्कैनिंग करता है। यह देखना मजेदार था कि औरा स्कैनिंग रिपोर्ट एक फोटो था जिसे 'फ़ोटोशॉप' नामक सॉफ्टवेयर से बनाया गया था। दरअसल आभा स्कैनिंग 'किरिलियंस' द्वारा विकसित एक फोटोग्राफिक तकनीक है जिसमें हम केवल लाल पीले हरे नीले रंग के धब्बे या रेखाएं देख सकते हैं। यह कभी आपके भौतिक शरीर की फोटो नहीं लेती है। जैसा कि हम चेहरे कि सामान्य फोटो देखते हैं। अगर कोई एक्स-रे फोटो लेता है तो क्या आपका चेहरा उसमे दिखाई देगा? बिलकुल नहीं, एक्स रे आपकी हड्डियों को अंदर से दिखाएगा। आभा (औरा) स्कैनिंग स्पॉट या रंगों के क्षेत्र हैं। तो ऐसे नकली आभा स्कैनर ठगोंसे अवगत रहें। वे प्रति फोटो तीन हजार से छह हजार चार्ज कर सकते हैं। सावधांन।

    एक जगह पर यह समझा जाता है कि रेकी ब्रह्मांडीय ऊर्जा का हिस्सा है, तो इसे किसी भी चिन्ह के अंदर क्यों माना जाता है?

    इसे समझाने दीजिए। सबसे पहले, रेकी कोई इंसान नहीं है, जो पढ़ सकती है, अगर वह पढ़ रही है, तो क्या वह केवल जापानी भाषा पढ़ सकती है? हम भारतीयों का मानना है कि ब्रह्मांड की उत्पत्ति ॐ से है। फिर रेकी में ॐ क्यों नहीं है?

    तीसरा सवाल, जो कि बहुत तार्किक है, स्याही द्वारा कागज पर कुछ भी अंकित करना एक रासायनिक प्रक्रिया है। पेपर एक रसायन से बना है, और स्याही भी रसायनों से बनी है। अगर मैं कुछ भी लकीरें खींचता हूं, तो क्या इस पेपर में कोई ईश्वरीय ऊर्जा है? जवाब है, नहीं। कागज के चित्र मे कोई अलौकिक शक्ती नहीं है। यह कागज़ का महज एक टुकड़ा है, अगर किसी को कुछ महसूस होता है, तो यह एक मनोवैज्ञानिक खेल है। एक भारतीय व्यक्ति पेपर पर पैर रख सकता है जिसमें ड्रैगन तस्वीर है, जहां चीनी व्यक्ति इस पर पैर नहीं रख सकता। जैसे कि किसी भी हिंदू भगवान की तस्वीर किसी भी चीनी व्यक्ति के पैरो तले हो सकती है, वह इसके बारे में कुछ भी महसूस नहीं करेगा। लेकिन एक हिंदू व्यक्ति के लिए यह चित्र का फीलिंग अलग हो सकता है। जिस मुद्दे को मैं बताना चाहता हूं, उसपर गौर कीजिए.. कागज और स्याही की सहायता से खींचे गए चिन्ह में कोई अतिरिक्त ऊर्जा नहीं है। मैंने कुछ ठग मास्टर्स को चिन्ह के प्रतीकों को विद्यार्थीयोंको आधे मिलियन डॉलर में बेचते देखा है .... जागरूक रहें।

    कृपया ब्रह्माण्ड की ऊर्जा को समझें, बेवकूफों की तरह काम न करें। तकाता के पंथ के मास्टर्स उन तथाकथित गुरुओंके जैसे है जो आप और भगवान के बीच मध्यस्थों की तरह (एजंट) हैं।

    मुझे बताईये रेकी कैसे काम करती है?

    रेकी एक अलौकिक ऊर्जा है जो सक्रिय होने के बाद हमारे शरीर से बहती है। हमारी मृत्यु तक रेकी हमारे शरीर में बनी रहती है। अगर आपने रेकी को सक्रिय किया हो और फिर दस या बीस साल तक उसका उपयोग नहीं किया, तो भी रेकी आपके पास है। यदि आप बीस वर्षों के बाद भी रेकी लेना चाहते हैं, तो यह सक्रिय हो जाएगी। जब यह सक्रिय होती है तो यह एक सौ प्रतिशत सक्रिय होती है!

    क्या रेकी और कुंडलिनी शक्ति के बीच कोई समानता है?

    हां, रेकी शरीर और आत्मा के माध्यम से बहने वाली अलौकिक ऊर्जा का हिस्सा है। कुंडलिनी शरीर और आत्मा के माध्यम से बहने वाली लौकिक ऊर्जा का हिस्सा है। कई विद्वानों का मानना है कि रेकी और कुंडलिनी एक सिक्के के दो पहलू हैं।

    आधुनिक विज्ञान रेकी को विज्ञान के रूप में क्यों नहीं पहचानता है?

    हाँ यह सच है। इस पूरे ब्रह्मांड को समझने के लिए आधुनिक विज्ञान की कई सीमाएं हैं। यह भगवान को नहीं पहचानता , यह बुराई की तरह नकारात्मक ऊर्जा को नहीं पहचानता, यह मजबूत इच्छा शक्ति को नहीं पहचानता ... लेकिन फिर भी वह सब चीजे अस्तित्व में है, हैं कि नहीं। यह पश्चिमी सोच की एक फैशन है कि दुनिया की सभी संस्कृतियां, आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा, जलचिकित्सा आदि जैसी विद्याओंको नहीं मानता हैं। जो वास्तव में गलत है। हम आधुनिक विज्ञान को स्वीकार करते हैं लेकिन हम कंपन और धारणाओं को महत्व देते हैं, जो अंतरात्मा से महसूस होते है।

    क्या रेकी का कोई दुष्प्रभाव है?

    नहीं, रेकी उपचार का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। एक प्राकृतिक शक्ति होने के नाते, किसी भी शरीर द्वारा केवल आवश्यक शक्ति स्वीकार की जाती है। यह कुल शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य देता है।

    क्या यह संभव है कि हीलर में किसी मरीज की बीमारी आ सकती है? तो फिर इसका उपाय क्या है?

    हां, यह कई बार होता है कि उपचार के बाद एक हीलर बीमार हो सकता है या रोगी को रेकी देने के बाद रोगी अधिक गम्भीर रूप से बीमार हो जाता है। इसके कुछ कारण हैं। ऊर्जा ज्यादासे कम की तरफ बहती है। यदि कोई रोगी आपकी चिकित्सा शक्ति से कहीं अधिक नकारात्मक है तो नकारात्मक ऊर्जा आपके शरीर में प्रवेश कर सकती है।

    रेकी देने के बाद रोगी कई बार खराब स्तर पर पहुंच जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि रेकी वास्तव में ऊर्जा को बढ़ाती है। यदि शरीर से नकारात्मक ऊर्जा नहीं निकाली जाती है तो संभावना है कि नकारात्मक ऊर्जा शक्तिशाली हो सकती है और रोगी सबसे खराब स्थिति में पड़ सकता है।

    दोनों स्थितियों से बचने के लिए, सबसे पहले सप्ताह में कम से कम एक बार स्वयं रेकी लें। दूसरा प्राणिक उपचार की सहायता से अपने आभा की सफाई करके नकारात्मक ऊर्जा को हटा दें। प्राणिक उपचार रेकी की तुलना में अधिक अग्रिम तकनीक है।

    अलौकिक रेकी क्या है?

    अलौकिक रेकी किसी अन्य रेकी फॉर्म की तुलना में परम उपचार शक्ति है। यह कॉस्मिक सुप्रीमो के साथ सीधा संबंध है।

    अस्वीकरण (डिस्क्लेमर): रेकी केवल, तनाव में कमी और विश्राम के उद्देश्य से ऊर्जा संतुलन की जापानी प्राकृतिक उपचार प्रणाली है। रेकी चिकित्सा, मनोवैज्ञानिक निदान और मेडिसीन का विकल्प नहीं है। अपने स्वास्थ्य की देखभाल के लिए पेशेवर या सामान्य डॉक्टर से पहले परामर्श लें। रेकी चिकित्सक अॅवलोपेथिक परिस्थितियों का निदान नहीं करते हैं, न ही वे एक लाइसेंस प्राप्त चिकित्सा पेशेवर डॉक्टर के इलाज को बदलकर चिकित्सा उपचार इंटरफेस निर्धारित करते हैं। रेकी का मतलब केवल चिकित्सा मेडिसीन उपचार की मदद करना है, उन्हें बदलना नहीं है। हम आपको एक लाइसेंस प्राप्त चिकित्सक (डॉक्टर), शारीरिक या मनोवैज्ञानिक बीमारियों के लिए सामान्य चिकित्सक (डॉक्टर) को दिखाने की सलाह देते हैं कि गंभीर या पुरानी बिमारी हो जिससे कि आप पीड़ित हो सकते हो या वैसी सम्भावना हो।



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